एक अच्छा भूत – Horror Story in Hindi

Ek Achha Bhoot Horror Story Hindi

महेन्द्र दिवान की ये कहानी है। उसने बी.ऐ तक का अभ्यास किया हुआ था और वो उत्तरप्रदेश का रहवासी था।

स्वभाव मे मिलनसार होने के कारन में बहुत ही जल्द दोस्त बना लेता हु। फेसबुक पे मुझे एक दोस्त मिला।

उसने मुझे मुंबई घूम ने के लिए आमंत्रित किया। मुझे पहले से ही मुंबई जाने की बहुत ही इच्छा थी इसलिए मेने मुंबई जाने का पक्का किया।

लेकिन मुझे नहीं पता था की मेरी ये छुटिया बहुत ही भयानक तरीके से ख़तम होगी। आज भी में उस खाखी कपडे पहने हुए भूत के बारे में सोचता हु तो मेरे मुँह में से चीख़ निकल जाती है।

मुंबई मे मेरे दोस्त प्रतिक ने रेलवे स्टेशन के पास वाला घर पे मुझे रहने के लिए जगह दिया।

10 दिन की छूटीओ में जुहू, चोपाटी, महालक्षमी मंदिर, गेट वे ऑफ़ इंडिया देख ने का नक्की किया। प्रतिक नोकरी करता था इसलिए उसके पापा को दोपर का खाना देने जाने को मैने मदद करने का नक्की किया।

मुझे नहीं पता था की दोस्त के पिताजी की ये मदद मुझे बहुत ही भारे पड़ने वाली थी।

में मीरा रोड से टिफिन लेके जा रहा था। अचानक मेरी नजर दाई और खाखी कलर के कपडे पहने हुए एक आदमी पे पड़ी मुझे लगा की वो एक रेलवे का कर्मचारी होगा।

मेने उसको देख कर अपना शिर थोडा हिलाया और उसने भी अपना शिर हिलाया। लेकिन में जेसे ही आगे बढ़ा वो आदमी भी रेलवे के पाटे पे आगे आगे चलने लगा।

अब मुझे डर के कारन पसिना होने लगा। कंयू की मुझे लगा की वो मानसिक रूप से अस्वथ हे या फिर वो मुझे मर के लूट लेना चाहता है।

मेने अपनी चलने की स्पीड बढ़ाई तो उस आदमी ने भी मेरे साथ दोड़ ने लगा। दोड़ ते दोड़ ते अचानक उसने एक पथ्थर उठा लिया और दूसरे हाथ मे पहले से ही एक लकड़ी थी।

जब वो पथ्थर लेने के लिए नीचे झुका तब उसकी पीठ मेरी और हुई तो मेने देखा की उसकी पीठ पे मांस के टुकड़े लटक रहे थे और खून की धार बह रही थी। तब मुझे पता चला की मेरी उसके साथ मुलाकात हो चुकी है।

अचानक ट्रेन की सिटी बजी और….और सिटी बजने के साथ ही….उस आदमी ने चीखे निकली….मेरे पर….”मेरे तो रूह तक खड़े हो गए।” और में कुछ भी सोचे बिना टिफ़िन फेंक के जोर से दौड़ने लगा। मेरी चम्पल भी रस्ते मे छूट गई और कंकड़ और पथ्थर वाले रस्ते पे 300 मीटर तक दोड़ के हाइवे तक पहुंचा।

सन्नाटा और उस सनकी से दूर जाके लोगो की भीड़ देख कर मेरे जान मे जान आई। लेकिन डर के कारन में रोने लगा। मेरी सांसे इतनी तेज चल रही थी थकान के कारन में उस हाइवे पे बैठ गया।

मुझे रोता हुआ देख कर लोग इकठे हो गए। किसी ने मेरी जेब से फोन निकल कर मेरे दोस्त से बात किया, मेरा दोस्त टेक्सी मे बिठा के उसके घर ले गया।

प्रतिक के पिताजी ने मुझे उस रेलवे ट्रैक के पास भटकता हरिया नाम के भूत की दुर्धटना वाली बात बताई। उन्होंने बताया की हरिया एक रेलवे कर्मचारी था।

हरिया का काम ट्रेन के पाटे रिपेर करने का था और जानवरो को रेलवे के पाटे से दूर रखने का था। हरिया खुद का काम पूरा लगन और महेनत से करता था।

एक दिन एक जानवर का पैर रेलवे के पाटे मे फस गया था। हरियो ये देख कर पाटे की और भागा और अपना पुरा ताकत लगा के वो जानवर का पैर निकल ने की कोसिस करने लगा और उसी वक्त अचानक से ट्रेन आ गई।

लेकिन बहोत ही कोसिस के बाद हरियो उस जानवर का पैर पाटे में से निकाल तो दिया, लेकिन ट्रेन की आवाज के कारन गभरा गया हुआ जानवर ने अपने सिंग से हरिया को उछाड़ के पाटे पर फेंक दिया और हरिया की पीठ पर से ट्रेन गुजर गई।

सायद यही कारण से हरिया ट्रेन के पाटे से गुजर रहे हरेक व्यक्ति को ट्रैक से दूर भगा रहा हे। और बहुत बात दोपर मे जानवर उस जगह पे जाके जोर जोर से चीख रहे हे।

सायद उनको भी डराके हरियो रेलवे पाटे से दूर भगाना चाहता हे, ताकि किसी के साथ उसके जैसी दुर्घटना ना हो।

दस दिन की छुटियाँ चार ही दिन मे पूरी करके में ट्रेन के बदले बस से वापस अपने गाँव चला गया। हरिया का भूत सायद अच्छे इरादे से लोगो को डरा रहा होगा, लेकिन उसको देखने का मेरा अनुभव मुझे आज भी डरा देता हे।

दोस्तो आपको यह कहानी कैसी लगी प्लीज़ हमे कमेंट कर के जरूर बताए।

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3 thoughts on “एक अच्छा भूत – Horror Story in Hindi

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